हर साल हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में धोखाधड़ी वाले क्लेम के लिए बहुत अधिक राशि का भुगतान किया जाता है। भारत में वित्तीय अपराध पर EY (कंसल्टेंसी फर्म) द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, 2018 से बीमा धोखाधड़ी में 30% की वृद्धि हुई है, जो चिंताजनक है। इससे न केवल बीमा क्षेत्र प्रभावित होता है, बल्कि निर्दोष ग्राहक भी प्रभावित होते हैं। इस प्रकार, क्लेम की धोखाधड़ी को कम करने के लिए, सह-भुगतान का विकल्प लाया गया है। अधिकांश स्वास्थ्य बीमा प्रदाता सह-भुगतान सेवा के साथ स्वास्थ्य बीमा प्रदान करते हैं। इसलिए, अगर आप स्वास्थ्य बीमा पहली बार ले रहे हैं, तो सह-भुगतान को लेकर भ्रमित न हों।
मेडिकल बिलिंग में सह-भुगतान क्या है?
आसान शब्दों में, स्वास्थ्य बीमा में सह-भुगतान, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत बीमित व्यक्ति द्वारा वहन की जाने वाली क्लेम राशि का प्रतिशत है। हालांकि, बाकी राशि का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाएगा। इसलिए, आप कह सकते हैं कि यह एक स्वीकार्य क्लेम राशि है जिसका भुगतान बीमा कंपनी और बीमित व्यक्ति, दोनों अपने-अपने प्रतिशत के हिसाब से साझा आधार पर करते हैं। सह-भुगतान उपनियम, प्रतिशत के साथ, हमेशा बीमा पॉलिसी में उल्लिखित होता है और चिकित्सा सेवाओं पर लागू होता है।
उदाहरण:
निदिमा ने बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी और 10% सह-भुगतान करने के लिए सहमत हुईं। उनका ₹1.5 लाख का क्लेम स्वीकृत होता है। इस मामले में, उनको 1.5 लाख का 10%, यानी सह-भुगतान के रूप में ₹15000 का भुगतान करना होगा और बाकी 90% का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाएगा।
इस प्रकार, स्वास्थ्य बीमा में सह-भुगतान स्वास्थ्य बीमा कंपनी के साथ की गई एक व्यवस्था है, जिसमें बीमित व्यक्ति को मेडिकल खर्चों का एक हिस्सा खुद वहन करना होगा। शेष राशि का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाएगा।
बीमा में सह-भुगतान का विकल्प क्यों होता है?
पॉलिसी में सह-भुगतान उपनियम लगाना न केवल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को खर्चों का एक हिस्सा बचाने में मदद करता है, बल्कि कंपनी को नीचे बताए गए कुछ लाभ भी देता है।
- पॉलिसीधारकों को फीस के एक हिस्से का भुगतान करना होता है; जो उन्हें स्वाभाविक रूप से खांसी और सर्दी, गैस से होने वाली पेट की परेशानी आदि जैसी सामान्य समस्याओं के उपचार के लिए क्लेम करने से रोकता है, जिसका भुगतान तकनीकी रूप से बीमा कंपनी द्वारा किया जाना है।
- इलाज के एक हिस्से का भुगतान करने का मतलब है कि उपभोक्ता को स्वयं के द्वारा किए जाने वाले खर्चों के बारे में भी जानकारी होगी, इस प्रकार स्वामित्व की भावना पैदा होगी।
- लोगों को अधिक महंगे हॉस्पिटल से इलाज करने से रोकता है, क्योंकि उन्हें महंगे हॉस्पिटल बिल का बोझ भी उठाना होगा।
- बीमा कंपनियों के जोखिम को कम करता है, क्योंकि ये कंपनियां बड़े लाभ और नुकसान पर काम करती हैं। 10% सह-भुगतान उपनियम का अर्थ है कि कंपनी सभी भुगतानों के 10% को सीधे बचा रही है।
सह-भुगतान बीमा वाली हेल्थ पॉलिसी कैसे चुनें?
सह-भुगतान वाली पॉलिसी लेते समय आपको इन कुछ कारकों पर विचार करना चाहिए:
- सह-भुगतान का प्रतिशत: यह लागत का कुछ प्रतिशत होगा जिसे पॉलिसीधारक को वहन करना होगा। उदाहरण के लिए, अगर बीमित व्यक्ति का ₹ 50,000 का मेडिकल बिल बनता है और सह-भुगतान उपनियम 10% है, तो बीमित व्यक्ति को ₹ 5,000 का भुगतान करना होगा, जबकि बीमा कंपनी शेष बैलेंस ₹ 45,000 का भुगतान करेगी।
- प्रीमियम: सह-भुगतान उपनियम वाली अधिकांश पॉलिसी में प्रीमियम कम होता है। सुनिश्चित करें कि आप सह-भुगतान वाली पॉलिसी की तुलना अन्य साधारण स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ करें और देखें कि प्रीमियम में कितना अंतर है।
मेडिकल बिलिंग में को-इंश्योरेंस क्या है?
भारत में, को-पे (सह-भुगतान) इंश्योरेंस और सह-बीमा (को-इंश्योरेंस) शब्द परस्पर बदलकर इस्तेमाल किए जाते हैं। सह-बीमा अनुबंध में, बीमा कंपनी और बीमित दोनों एक समझौते में प्रवेश करते हैं, जहां प्रत्येक पार्टी मेडिकल बिल के एक निश्चित प्रतिशत का भुगतान करने के लिए सहमत होती है। प्रतिशत आमतौर पर उपनियम के आधार पर 90-10, 80-20, या 30-70 के रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं। सह-भुगतान स्वास्थ्य बीमा, उपलब्ध चिकित्सा सेवाओं के लिए भुगतान की जाने वाली निश्चित राशि है।
बीमा में सह-भुगतान की विशेषताएं
सह-भुगतान की अवधारणा को समझने से आपको यह समझने में मदद मिलती है कि यह उपनियम क्यों उपलब्ध है और आपको अपने मेडिकल बिलों में कितना योगदान देना होगा। आइए इसकी बुनियादी विशेषताओं के बारे में बात करते हैं:
- बीमित व्यक्ति को केवल आंशिक राशि का भुगतान करना होगा, बीमा कंपनी द्वारा बड़े हिस्से का भुगतान किया जाएगा।
- यह उपनियम मेडिकल सेवाओं पर लागू होता है, जिनमें हॉस्पिटल में भर्ती होने के खर्चे, डॉक्टर की फीस, दवाओं और लैब टेस्ट शामिल हैं।
- अधिक मासिक प्रीमियम वाले प्लान में आमतौर पर सह-भुगतान का प्रतिशत कम होता है।
- यह अधिकतर सीनियर सिटीज़न हेल्थ इंश्योरेंस प्लान पर लागू होता है।
- सह-भुगतान का बुनियादी उद्देश्य लागतों को बचाना और अनावश्यक क्लेम को टालना है।
स्वास्थ्य बीमा में सह-भुगतान का महत्व
स्वास्थ्य बीमा की शब्दावली आपको उलझन में डाल सकती है, इसलिए अपनी बीमा पॉलिसी का अधिकतम लाभ उठाने के लिए विभिन्न शब्दों के बारे में जानना अच्छा है। अब आपने सह-भुगतान और इसकी विशेषताओं के बारे में पढ़ लिया है, तो आइए इसके महत्व को समझते हैं।
- यह बीमा कंपनी और बीमित व्यक्ति के बीच जोखिम को बांट देता है। हालांकि, बीमित व्यक्ति को क्लेम की न्यूनतम राशि वहन करनी होगी।
- यह प्रीमियम की राशि को कम करके आपके बोझ को कम करता है।
- पहले से मौजूद बीमारियों वाले वरिष्ठ नागरिकों को सह-भुगतान उपनियम के साथ कम प्रीमियम पर पर्याप्त कवरेज मिलता है।
- यह लग्जरी सुविधाओं और अनावश्यक रूप से हॉस्पिटल जाने को कम करता है और पॉलिसीधारकों को स्वास्थ्य बीमा के तहत केवल आवश्यक क्लेम करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के दुरुपयोग को भी कम करता है।
क्या सह-भुगतान स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को प्रभावित करता है?
अगर आपने सह-भुगतान का विकल्प चुना है, तो यह आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम को सीधे प्रभावित कर सकता है। अगर आपके बीमा में डिडक्टिबल राशि के साथ सह-भुगतान का प्रतिशत अधिक है, तो वास्तव में आपका बीमा प्रीमियम कम होगा। इसका कारण यह है कि उच्च सह-भुगतान के साथ, भुगतान का जोखिम बीमित और बीमा कंपनी के बीच लगभग समान रूप से विभाजित किया जाता है।
मान लीजिए कि A स्मार्ट सेलेक्ट बेनिफिट के साथ इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनते हैं। पहले पॉलिसी वर्ष के लिए उनका प्रीमियम ₹15,000 है।
अब अगर A स्मार्ट सेलेक्ट बेनिफिट का विकल्प नहीं चुनते हैं और स्मार्ट सेलेक्ट में सूचीबद्ध हॉस्पिटल के अलावा अन्य हॉस्पिटल में उपचार करवाते हैं, तो 20% सह-भुगतान लागू होगा। इसी तरह, प्रथम पॉलिसी वर्ष में प्रीमियम ₹12,750 होगा जो कि सामान्य प्रीमियम से 15% कम होगा।
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स्वास्थ्य बीमा में सह-भुगतान की गणना कैसे करें?
सह-भुगतान या को-पेमेंट बीमित व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच खर्चा बांटने की व्यवस्था है, जहां बीमित व्यक्ति किसी विशेष स्थिति या बीमारी के इलाज में किए गए मेडिकल खर्चों के एक निश्चित प्रतिशत का भुगतान करता है।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के नियम और शर्तों के आधार पर सटीक सह-भुगतान राशि और प्रतिशत अलग-अलग हो सकते हैं। आमतौर पर, भारत में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में सह-भुगतान का उपनियम होता है, जो कुल चिकित्सा खर्चों के 10% से 30% के बीच होता है, और शेष राशि का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी विशेष बीमारी के इलाज के दौरान किए गए कुल चिकित्सा खर्चे ₹ 1 लाख तक और पॉलिसी में सह-भुगतान उपनियम 20% है, तो बीमित व्यक्ति को ₹ 20,000 (₹ 1 लाख का 20%) का भुगतान करना होगा और बीमा कंपनी शेष ₹ 80,000 का भुगतान करेगी।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सह-भुगतान सभी चिकित्सा खर्चों के लिए लागू नहीं होता। कुछ पॉलिसी में केवल विशिष्ट उपचार या मेडिकल प्रोसीज़र के लिए सह-भुगतान उपनियम लागू हो सकता है। सह-भुगतान उपनियम और इसकी लागू होने की योग्यता को समझने के लिए पॉलिसी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ना महत्वपूर्ण है।
आपको स्वास्थ्य बीमा प्लान की आवश्यकता क्यों है?
हम मेडिकल इमरजेंसी की भविष्यवाणी नहीं कर सकते। ये किसी भी समय किसी के साथ भी हो सकती हैं। काम-काज में व्यस्त रहना, अस्वस्थ भोजन की आदतों और नींद के समय बार-बार बदलने के साथ, आधुनिक जीवनशैली ने धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य पर असर डालना शुरू कर दिया है। युवा वयस्कों को जीवनशैली से जुड़ी विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, और समय आ गया है कि हम अपने स्वास्थ्य और अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं। चिकित्सा के बढ़ते खर्चे के कारण मेडिकल ट्रीटमेंट महंगे हो रहे हैं। इस प्रकार, आपको ऐसे स्वास्थ्य बीमा प्लान की आवश्यकता है, जो आपके मेडिकल बिल को कवर करेगा और किसी भी संभावित प्रभाव से आपके फाइनेंस को सुरक्षित करेगा। इसके अलावा, आप इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत टैक्स लाभ प्राप्त कर सकते हैं।