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मधुमेह: लक्षण, कारण और उपचार

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाती है तो आजीवन बनी रहती है। जीवनशैली और आहार में सुधार कर के डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे मामलों में नियमित जांच बहुत जरूरी होता है।

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Vipul Tiwary
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Vipul Tiwary
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स्वास्थ्य बीमा विशेषज्ञ - केयर हेल्थ इंश्योरेंस

विपुल तिवारी एक अनुभवी लेखक और मीडियाकर्मी हैं, जिनके पास समाचार, स्वास्थ्य और बीमा उद्योग में काम करने का कुल 7 वर्षों से ज्यादा का व्यापक अनुभव है। उनकी विशेषज्ञता के प्रमुख क्षेत्र स्वास्थ्य, वित्त, प्रौद्योगिकी, जीवन शैली और पर्यटन हैं। अपने शानदार करियर में, विपुल ने अपने अनिवार्य दृष्टिकोण और हिंदी और अंग्रेजी दोनों पर मजबूत पकड़ के साथ एक विशाल पाठक वर्ग को प्रभावी ढंग से तैयार किया है।

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मधुमेह क्या है?

मधुमेह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसे शुगर और डायबिटीज के नाम से भी जानते हैं। यह बीमारी तब होती है जब आपके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता है और इसके कारण ब्लड में मौजूद ग्लूकोज या शुगर का लेवल बढ़ जाता है। इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है जो ब्लड में मिलकर ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है। यदि शरीर में पर्याप्त इंसुलिन मौजूद नहीं होता है तो ब्लड कोशिकाओं तक ग्लूकोज नहीं पहुंच पाता है और यह ब्लड में ही इक्ट्ठा हो जाता है। ब्लड में मौजूद अतिरिक्त शुगर आगे चलकर मधुमेह में परिवर्तित हो जाती है।

हम जो भी खाना खाते हैं उससे हमें ग्लूकोज मिलता है और इंसुलिन नामक हार्मोन इस ग्लूकोज को ब्लड के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचाता है, जिससे हमें उर्जा प्राप्त होती है। यह बिना इंसुलिन के नहीं हो सकता है। डायबिटीज किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है और यह एक ऐसी बीमारी है जो आपको एक बार हो जाए तो आजीवन बनी रहती है।

डायबिटीज कितने प्रकार के होते हैं

आमतौर पर, डायबिटीज के प्रकार को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है। यह तीन प्रकार के होते हैं:-

डायबिटीज के प्रकार

1. टाइप - 1 डायबिटीज: यह आमतौर पर बच्चों और युवाओं में देखा जाता है और यह स्थिति तब होती है जब शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के खिलाफ हो जाती है और पैंक्रियाज में कोशिकाओं को नष्ट कर देती है - वह अंग जो इंसुलिन नामक हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार है।

2. टाइप -2 डायबिटीज: अक्सर उम्रदराज लोगों में देखा जाता है, यह डायबिटीज का सबसे आम प्रकार है जहां शरीर इंसुलिन को ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देता है।

3. गर्भकालीन डायबिटीज: यह गर्भवती महिलाओं में देखी जाने वाली एक चिकित्सा स्थिति है जब शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और प्रसव के बाद वापस सामान्य स्थिति में आ जाता है।

अन्य प्रकार के डायबिटीज में शामिल हैं:

  • टाइप 3 सी डायबिटीज: टाइप 3 सी डायबिटीज तब होता है जब ऑटोइम्यून क्षति के अलावा आपके पैंक्रियाज को क्षति का अनुभव होता है, यह इंसुलिन के उत्पादन की क्षमता को प्रभावित करता है।
  • वयस्कों में लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज(LADA): लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज भी टाइप 1 डायबिटीज की तरह एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया का परिणाम है। इस तरह के डायबिटीज 30 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों में होती है।
  • मैच्योरिटी ऑनसेट ऑफ द यंग (MODY): डायबिटीज के प्रकार में से एक है MODY यानि मैच्योरिटी ऑनसेट ऑफ द यंग डायबिटीज। जिसे मोनोजेनिक मधुमेह भी कहा जाता है। यह 25 से कम उम्र के युवाओं में पाया जाता है।
  • नवजात मधुमेह(नियोनेटल डायबिटीज़): यह मधुमेह का एक दुर्लभ रूप है जो नवजात शिशुओं में जीवन के पहले छह महीनों के भीतर होता है। यह भी मोनोजेनिक मधुमेह होता है।
  • ब्रिटल डायबिटीज़: यह भी मधुमेह का एक दुर्लभ रूप है, जिसमें लोगों में ग्लूकोज (शर्करा) के स्तर में गंभीर उतार-चढ़ाव होता है। यह अस्थिरता अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की ओर ले जाती है।
  • प्री-डायबिटीज: प्री-डायबिटीज या बॉर्डरलाइन डायबिटीज एक ऐसी मेडिकल स्थिति है, जहां ब्लड शुगर का स्तर सामान्य सीमा से अधिक होता है, लेकिन यह डायबिटीज में वर्गीकृत नहीं किया जाता है।

मधुमेह कितना आम है?

डायबिटीज होना बहुत आम समस्या बन गया है। यदि हम बात करें पूरी दुनिया में डायबिटीज मरीजों की तो इसकी संख्या भारत में सबसे ज्यादा है और यह आंकड़े डराने वाले हैं। लैंसेट के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित है और 13.6 करोड़ लोगों को प्री-डायबिटीज की स्थिती है।

इसकी स्टडी में बताया गया है कि 2019 में डायबिटीज के 7 करोड़ रोगी थे और अब इस संख्या में 44% की बढ़ोतरी हुई है। इसके रिसर्च में बताया गया है कि भारत में 15.3% लोगों को प्री-डायबिटीज है। डायबिटज में टाइप 2 मधुमेह सबसे आम प्रकार है, जो 90% से 95% लोगों को होता है। दुनिया भर में लगभग 537 मिलियन वयस्कों को डायबिटीज की समस्या है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि डायबिटीज में बढ़ोतरी जीस तरह से हो रही है इसकी संख्या 2030 तक 643 मिलियन और 2045 तक 783 मिलियन हो जाएगी।

मधुमेह के लक्षण क्या हैं?

डायबिटीज को सही समय पर मॉनिटर करने के लिए इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। शुगर होने के लक्षण (sugar ke lakshan) इस तरह हैं:-

मधुमेह के लक्षण क्या हैं

  • लगातार पेशाब आना
  • अधिक प्यास लगना या डिहाइड्रेशन
  • भूख ज्यादा लगना
  • वजन कम होना
  • थकान
  • चक्कर आना
  • धीरे-धीरे घाव भरना
  • संक्रमण या त्वचा की समस्या
  • मतली और उल्टी
  • धुंधली दृष्

मधुमेह के अलग-अलग प्रकार के लक्षणों के बारे में अतिरिक्त जानकारी

  • टाइप 1 मधुमेह: टाइप 1 डायबिटीड के लक्षण (diabetes ke lakshan) बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं। यह कुछ सप्ताह या महिनों में बढ़ सकते हैं। इसमें अतिरिक्त गंभीर जटिलताएं दिखाई दे सकती हैं जैसे डीकेए (डायबिटीज रिलेटेड कीटोएसिडोसिस)। यह एक जानलेवा स्थिती है, जिसमें इंसुलीन की कमी हो जाती है और यह जान पर बन आती है। इसके लिए तत्काल उपचार की जरूरत होती है। इसके लक्षणों में पेट दर्द, उल्टी, सांस लेने में परेशानी और सांसों में फल जैसी स्मेल इत्यादि हैं।
  • टाइप 2 मधुमेह और प्रीडायबिटीज: टाइप 2 डायबिटीज में आपको कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है या आप उन पर ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि वे बहुत धीरे-धीरे विकसित होते हैं। ऐसे में लक्षणों का पता करने के लिए ब्लड शुगर टेस्ट कराया जा सकता है। प्रीडायबिटीज का एक अन्य संभावित लक्षणों में शरीर के कुछ हिस्सों त्वचा का काला पड़ना है।
  • गर्भकालीन मधुमेह: जेस्टेशनल डायबिटीज में आपको कोई लक्षण दिखाई नहीं देंगे। इसमें डॉक्टर प्रेग्नेंसी के 24 से 28 सप्ताह के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए आपका टेस्ट करता है।

लंबे समय में, उच्च ग्लूकोज स्तर की स्थिति शरीर के महत्वपूर्ण अंगों जैसे हृदय, किडनी, आंख, तंत्रिका तंत्र आदि से संबंधित जटिलताओं का कारण बनती है।

डायबिटीज की पहचान कैसे करें?

शरीर में शुगर की पहचान करने के लिए सबसे पहले ब्लड ग्लूकोज लेवल का पता किया जाता है, इसके लिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट कर सकते हैं। देखें, मधुमेह की पहचान कैसे करें:-

  • फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट (Fasting Blood Sugar - FBS): फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट में भूखे पेट ब्लड शुगर लेवल का पता किया जाता है। इसमें आपको टेस्ट से पहले कम से कम 8 घंटे भूखे रहने की जरूरत होती है। अगर ब्लड शुगर लेवल 126 mg/dL या इससे ज्यादा आ रहा है तो ये डायबिटीज की संभावना हो सकती है।
  • ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT): ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट में ग्लूकोज पेय पिलाने से पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल का पता किया जाता है। यदि खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल 200 mg/dl या ज्यादा होता है तो मधुमेह के संकेत हो सकते हैं।
  • ग्लाइकेडेट हीमोग्लोबिन टेस्ट (HbA1C): ग्लाइकेडेट हीमोग्लोबिन टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसके द्वारा रोगी के पिछले दो से तीन महिनों के ब्लड शुगर की जांच की जाती है। इसमें 6.5% या उससे ज्यादा स्तर आने पर मधुमेह की संभावना हो सकती है।
  • रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट (RBS): आरबीएस यानी रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट कुछ समय के अंतराल पर नियमित रूप से किए जाने वाल टेस्ट है। यह किसी व्यक्ति में मौजूद ब्लड शुगर की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। यदि आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल 200 mg/dl या इससे अधिक हैं और मधुमेह के संकेत महसूस हो रहे हैं तो मधुमेह होने की संभावना हो सकती है।

मधुमेह की जटिलताएँ क्या हैं?

डायबिटीज से पीड़त लोगों को लंबे समय तक रहने वाली गंभीर जटिलताएं हो सकती है। जिसमें तीव्र और दीर्घकालिक जटिलताएं हो सकती है इसका शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर असर पड़ सकता है। तीव्र या गंभीर जटिलताएं जानलेवा भी हो सकती है। आइए जानते हैं, तीव्र और दीर्घकालिक जिटिलताओं के बारे में:-

तीव्र मधुमेह जटिलताएँ

तीव्र मधुमेह जटिलताएँ जो जानलेवा साबित हो सकती हैं उनमें शामिल हैं:-

  • हाइपरोस्मोलर हाइपरग्लाइसेमिक अवस्था (एचएचएस): इस तरह की जटिलता मुख्य रूप से टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों को प्रभावित करती है। यह स्थिती तब उत्पन्न होती है जब आपका ब्लड शुगर लेवल लंबे समय तक बहुत अधिक रहता है।
  • मधुमेह-संबंधी कीटोएसिडोसिस (DKA): इस तरह की जटिलताएं खासकर टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को प्रभावित करती है। ऐसा तब होता है जब आपके शरीर में पर्याप्त इंसुलिन नहीं होता है। इससे सांस की समस्या, भ्रम, उल्टी इत्यादि हो सकती है। डीकेए को तत्काल चिकित्सा उपचार की आवश्यकता है।
  • हाइपोग्लाइसीमिया: हाइपोग्लाइसीमिया तब होता है, जब ब्लड में शुगर का लेवल नॉर्मल से कम होता है। गंभीर हाइपोग्लाइसीमिया का मतलब ब्लड शुगर का बहुत कम होना है।

दीर्घकालिक जटिलताएं

ब्लड शुगर जब बहुत समय से बढ़ा रहता है तो दीर्घकालिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इसका शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर असर पड़ सकता है। हृदय से जुड़ी समस्याएं दीर्घकालिक मधुमेह जटिलताओं का सबसे आम प्रकार हैं। जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज
  • स्ट्रोक
  • हार्ट अटैक
  • एथेरोस्क्लेरोसिस

मधुमेह की अन्य जटिलताओं में शामिल हैं

  • हृदय संबंधी समस्याएं जैसे कोरोनरी धमनी की बीमारी, धमनियों का संकुचित होना, दिल का दौरा और स्ट्रोक
  • शरीर में उच्च शर्करा कोशिकाओं की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकता है जो तंत्रिका के सुन्नता, जलन या दर्द का कारण बन सकता है
  • डायबिटीज के कारण रेटिना की रक्त वाहिकाओं पर भी असर पड़ता है, जिससे धुंधली दृष्टि या अंधापन हो सकता है
  • ब्लड में ग्लूकोज लेवल अधिक होने पर बैक्टीरियल और फंगल संक्रमण भी हो सकता है
  • डायबिटीज किडनी फंक्शन को भी बाधित करता है, जिससे किडनी खराब हो जाती है, जिसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है
  • मधुमेह से अल्जाइमर रोग जैसे मस्तिष्क विकारों के जोखिम बढ़ जाते हैं

मधुमेह के क्या कारण हैं?

मधुमेह के कारण और बचाव कुछ इस तरह है। टाइप 1 डायबिटीज में, प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के खिलाफ काम करती है और अग्न्याशय में इंसुलिन पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है। इस प्रकार का मधुमेह रोग आनुवांशिक या पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है।

टाइप -2 डायबिटीज इंसुलिन प्रतिरोध द्वारा विशेषतः एक चयापचय विकार है जहां शरीर इसे प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ है। यह स्थिति कई कारकों के कारण होती है, जैसे कि:

मधुमेह के कारण

  • बढ़ती उम्र
  • मधुमेह का पारिवारिक चिकित्सा इतिहास
  • शारीरिक गतिविधि का अभाव
  • आनुवंशिकता
  • इंसुलिन रेजिस्टेंस
  • मोटापा
  • उच्च रक्त चाप
  • हार्मोन असंतुलन
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स
  • पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम
  • ऑटोइम्यून डिज़ीज़
  • तनाव या डिप्रेशन
  • गर्भावधि मधुमेह
  • जीवनशैली की आदतें जैसे धूम्रपान

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हो या हाई ब्लड शुगर के लक्षण दिखाई दे रहे हो, जैसे- बार-बार पेशाब आना, डीहाइड्रेशन, भूख बढ़ना इत्यादि तो आपको डॉक्टर को आवश्य दिखाना चाहिए। यदि आपकी स्थिती गंभीर होती है तो डॉक्टर आपको एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या मधुमेह विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।

>> मेडिकल खर्चों का बोझ हल्का हो जाता है यदि आप अनुकूलित स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ चुनते हैं जो मधुमेह के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करती हैं।

मधुमेह के उपचार क्या है?

डायबिटीज होने पर और शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को जानने के लिए सबसे पहले ब्लड टेस्ट की आवश्यकता होती है। उपचार आपकी स्थिति की सीमा पर निर्भर करता है। मधुमेह की रोकथाम के लिए जीवन शैली में बदलाव और दवा का संयोजन शामिल है।

मधुमेह न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। इसलिए, मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। इसकी शुरुआत एक व्यक्ति के दृष्टिकोण और आदतों में बदलाव के साथ होती है:

  • व्यायाम और स्वास्थ्य, कम वसा और कम कैलोरी आहार के माध्यम से शरीर के सही वजन को बनाए रखना
  • हाई-शुगर या तले हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना
  • पर्याप्त सब्जियों, फलों और अधिक फाइबर वाले पौष्टिक भोजन का सेवन करना
  • नियमित रूप से चलना, तैराकी, योग आदि के माध्यम से शारीरिक रूप से सक्रिय रहना।
  • विश्राम तकनीकों और अच्छी नींद के माध्यम से तनाव और चिंता से निपटना।
  • धूम्रपान छोड़ने के साथ-साथ शराब और कैफीन का सेवन नियंत्रित करना।
  • शरीर में ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी।

जहां तक दवा का संबंध है, डायबिटिक रोगियों के लिए निर्धारित दवाओं की पहली श्रेणी मेटफॉर्मिन है जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में काफी मदद करती है।

मधुमेह के गंभीर मामलों में, रोगियों को इंसुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है। इनहेल्ड-इंसुलिन दवाएं भी उपलब्ध हैं और रोगियों के लिए सुविधाजनक हो गई हैं। मधुमेह रोगियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शुगर का स्तर बेहद कम न हो जाए - एक स्थिति जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है - जिसमें पसीना आना, हाथ कांपना, थकान या बेहोशी जैसे लक्षण होते हैं। ऐसे मामले में, रोगी के पास कुछ तेजी से काम करने वाले शर्करा पदार्थ होने चाहिए जिनसे कि इन प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है। तकनीकी प्रगति और ग्लूकोज मॉनिटरिंग डिवाइस की उपलब्धता के कारण, किसी व्यक्ति के ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि या गिरावट की निगरानी करना आसान हो गया है।

निष्कर्ष

डायबिटीज (Diabetes in hindi) जीवनभर रहने वाली बीमारी है। इसलिए शुगर के लक्षण और इलाज के बारे में जानना आपके स्वास्थ्य को सही रखने के लिए बहुत जरूरी है। कई लोग मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए अनुशासित जीवनशैली को अपनाते हैं। स्व-देखभाल, दवा और निरंतर निगरानी के साथ, कोई भी सामान्य जीवन जी सकता है। अपने डॉक्टर के साथ स्पष्ट बातचीत करना और यह समझना कि आपका शरीर उपचार के प्रति प्रतिक्रिया कैसे करता है। मधुमेह से निपटने के दौरान आपकी स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक योजना बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

जब जटिलताएं पैदा होती हैं, तो दवा या सर्जरी से जुड़ी निरंतर चिकित्सा आवश्यक है। चिकित्सा उपचार की बढ़ती लागत को देखते हुए, आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस कवर(Health insurance coverage) लेना बहुत जरूरी हो गया है। किसी भी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिती में स्वास्थ्य बीमा आपको वित्तीय रूप से सहायता प्रदान करता है और आप तनाव मुक्त हो कर इलाज पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। मधुमेह में डायबिटीज स्वास्थ्य बीमा योजना (Health Insurance for Diabetes) खरीदना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

डिस्क्लेमर: प्लान की सुविधाएँ, लाभ और कवरेज भिन्न हो सकते हैं। कृपया ब्रोशर, सेल्स प्रोस्पेक्टस, नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।

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FAQs on मधुमेह

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  • कारण और जोखिम
  • इलाज और प्रबंधन
  • लक्षण और पहचान
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