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HEALTH INSURANCE CRITICAL ILLNESS INSURANCE
त्वचा संबंधी समस्याओं का होना कोई बड़ी बात नहीं है। इसका मुख्य कारण संक्रमण हो सकता है, जैसे- वायरल, बैक्टीरियल, फंगल, पैरासिटिक, इत्यादि। साफ-सफाई न बनाए रखने की स्थिति में ऐसा होता है। आजकल वातावरण इतना प्रदूषित हो चुका है कि त्वचा संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ गया है, और हर दूसरा व्यक्ति किसी न किस समस्या से परेशान है। बहुत लोग हर्पीस के बारे में नहीं जानते हैं, आइए जानते हैं, हरपीज बीमारी क्यों होती है? इसके लक्षण और कारण क्या होते हैं? हरपीज बीमारी कैसे ठीक होती है, इत्यादि।
हर्पीस लंबे समय तक रहने वाली त्वचा संबंधी बीमारी है, जो हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस(HSV) के कारण होता है। यह वायरस मुंह या जननांग क्षेत्र या शरीर के अन्य भागों की त्वचा को प्रभावित करता है। इस समस्या में त्वचा पर छोटे-छोटे फुंसियों का समूह होता है या घाव और फफोले होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इससे प्रभावित मरीज को दर्द, खुजली और जलन इत्यादि महसूस हो सकती है।
हर्पीस मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:-
इसे मौखिक हर्पीस के नाम से भी जानते हैं। यह मुंह और होठ के आस-पास के क्षेत्रों को प्रभावित करता है। खाने के बर्तन, टूथब्रश इत्यादि के जरिए यह फैलता है।
इसे जननांग हर्पीस के नाम से भी जानते हैं। यह जननांगो या मलाशय के आसपास के क्षेत्रों में होता है। ज्यादातर मामलों में हर्पीस 2 कमर के नीचे वाले हिस्सों में ही होता है।
हर्पीस होने के लक्षण निम्नलिखित है। जिसका संकेत मिलते ही डॉक्टरों से परामर्श करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं, हरपीज बीमारी कैसे होती है? हर्पीस वायरस संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने से फैल सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के छूने से नहीं फैलता है। टाइप 1 और टाइप 2 हर्पीस निम्नलिखित कारणों से होता है:-
हर्पीस के दौरान संक्रमित व्यक्ति में कई लक्षण देखे जाते हैं। इसलिए कमजोरी और होने वाले संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एनर्जी और प्रोटीन से भरपूरप आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए।आप हरपीज बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज भी कर सकते हैं। कई बार गलत खानपान की वजह से यह सामान्य बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और संक्रमित व्यक्ति के त्वचा में परेशानी और पीड़ा का कारण बनती है। इसको ठीक करने या लक्षणों को कम करने के लिए आहार और डाइट पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रोटीन से भरपूर आहार का सेवन नई कोशिकाओं के बनने में मदद करती है। साथ ही यह आपके शरीर को पोषण प्रदान करती है। हर्पीस के दौरान प्रोटीन युक्त आहार का सेवन, आपको समस्याओं से जल्द आराम दिलाता है। यह आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता प्रदान करता है। प्रोटीन युक्त आहार जैसे - दुध, दही, अंड़ा, बीन्स, नट्स और दाल इत्यादि।
हर्पीस के इलाज में मसाला और हर्ब्स भी बहुत उपयोगी साबित होता है। इसे ठीक करने के लिए अदरक, लहसुन. सोंठ, काली मिर्च और हल्दी का सेवन करना चाहिए। इन हर्ब्स और मसालों में एंटी-इम्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है, जिससे हर्पीस के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
विटामिन एंव मिनरल आपके इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, ताकि हर्पीस जैसे संक्रमण को रोकने और जल्दी ठीक करने में सहायता मिल सके। विटामिन ए हमारे पेट और स्किन के हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। विटामिन सी हमारे शरीर के संक्रमण से लड़ने और शरीर में एंटीबॉडी बनाने के लिए बेस्ट एंटीऑक्सीडेंट होता है। विटामिन ई और जिंक भी हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होता है जिसका सेवन आप कर सकते हैं। इसके अलावा आप आयरन, फॉलेट, सेलेनियम इत्यादि का भी सेवन कर सकते हैं, इससे शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और यह रोगों को दूर रखने के लिए जाना जाता है।
हर्पीस में खाने की चीजों के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें है, जिसे आपको हर्पीस के दौरान नहीं खाना चाहिए। आइए जानते हैं, हर्पीस में क्या नहीं खाना चाहिए:-
मीठी चीजें आपकी इम्यून सिस्टम को कमजोर बनाती है। हर्पीस संक्रमण के दौरान घाव के बढ़ने की आशंका ज्यादा होती है। इसलिए ऐसे में मिठाईयां, एनर्जी ड्रिंक्स, केक और सोडा जैसी मिठी चीजों से बचना चाहिए।
पैकेट बंद फूड में कई तरह के केमिकल का प्रयोग किया जाता है ताकी उन्हें लंबे समय तक खाने योग्य रखा जा सके। इसमें मौजूद केमिकल आपके शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में आपको इन सब चीजों के सेवन से बचना चाहिए, जैसे - इंस्टेंट नूडल्स, चिप्स, पैकेट वाले जूस इत्यादि।
ज्यादा वसायुक्त उत्पाद का सेवन आपके हेल्थ को खराब कर सकता है और हर्पीस के लक्षणों को भी बढ़ा सकता है। इससे कोलेस्ट्रोल की समस्या भी हो सकती है। इसलिए इससे बचने के लिए आपको वसायुक्त पदार्थ जैसे बटर, मलाई, मीट इत्यादि जैसी चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए।
सारांश:- हर्पिस संक्रमण हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (HSV) के कारण होता है। यह मुंह या जननांगों के क्षेत्रों पर ज्यादा होता है। इसे आप दवाई या मलहम के द्वारा ठीक कर सकते हैं। अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर के और हेल्दी डाइट अपना कर भी आप हर्पीस को कम या ठीक कर सकते हैं।
साथ ही, बेहतर स्वास्थ्य इलाज के लिए आप स्वास्थ्य बिमा कवर (health insurance coverage)भी ले सकते हैं। जहां आप खर्चों की चिंता किए बिना, बिमा कंपनी के नेटवर्क अस्पताल में आसानी से इलाज करा सकते हैं। ऐसा ही है केयर हेल्थ इंश्योरेंस का क्रिटिकल इलनेस प्लान (Critical Illness Insurance), जहां आपको एक साथ कई बीमारियों के लिए कवरेज मिलती है। यहाँ डे-केयर ट्रीटमेंट से लेकर और भी कई विकल्प होते हैं, जिसे आप अपने सुविधानुसार चुन सकते हैं।
डिस्क्लेमर: हर्पीस से जुड़े कोई भी समस्या होने पर आप डॉक्टर से आवश्य परामर्श करें। हेल्थ कवरेज के दावों की पूर्ति पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन है। प्लान की सुविधाएँ, लाभ और कवरेज भिन्न हो सकते हैं। कृपया ब्रोशर, सेल्स प्रोस्पेक्टस, नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
Published on 25 Nov 2024
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