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कोई भी ऐसी स्थिति जिसकी वजह से हृदय की संरचना या फिर उसके काम करने (संचालन) में परेशानी होती है, उसे हृदय रोग कहते हैं। हृदय रोग को आम तौर पर एक ही स्थिति मानी जाती है। हालाँकि, यह वास्तव में बीमारियों का एक समूह है जिसके कई अंतर्निहित कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं, दिल की बीमारी कैसे पता करें? दिल कमजोर होने से क्या होता है? इसके लक्षण और उपचार, इत्यादि।
हृदय रोग के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है:
सीएडी या कोरोनरी धमनी रोग हृदय रोग का सबसे आम रूप है। ये रोग तब होता है जब हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली बड़ी धमनियां (आर्टरीज), जिन्हें कोरोनरी धमनियां(आर्टरीज़) कहा जाता है, क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। कोरोनरी आर्टरी की क्षति तब होती है, जब धमनियों(आर्टरीज़) की दीवारों (एथेरोस्क्लेरोसिस) के भीतर प्लाक जमा हो जाता है, जिससे आर्टरी की दीवारें संकीर्ण और कमजोर हो जाती हैं।
समय के साथ, प्लाक जब जमा होता जाता है (कोलेस्ट्रॉल) और वो खराब हो सकता है और इसकी वजह से हृदय तक जो रक्त पहुँचता है उसकी मात्रा सीमित हो सकती है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। कभी-कभी, ऐसा होने से पहले ही लक्षण मौजूद होते हैं।
मायोकार्डियल रोधगलन, जिसे आम भाषा में दिल का दौरा भी कहते हैं, तब होता है जब हृदय को रक्त की आपूर्ति में किसी तरह की बाधा आती है या फिर वो पूरी तरह से रुक जाती है। इस रुकावट का कारण होता है: आर्टरी की दीवारों पर जमा होने वाला वसायुक्त पदार्थ। ये आर्टरी वो होती है जो हृदय को रक्त की आपूर्ति करती है, और रुकावट होने से हृदय की मांसपेशियों को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। यदि रक्त का प्रवाह जल्दी ही ठीक नहीं किया जाता है तो हृदय का वो क्षतिग्रस्त टिश्यू ऊतक मर जाता है।
जब दिल का दौरा पड़ता है, तो कुछ लोगों को सीने में दर्द की शिकायत होती है और कुछ लोगों को कुछ भी महसूस नहीं होता है या कह सकते हैं कि कोई लक्षण ही नहीं दिखता है। दिल के दौरे की चेतावनी के संकेतों को समझना आवश्यक है क्योंकि आमतौर पर ऐसा करने से जान बचाई जा सकती है।
दिल का दौरा पड़ने की चेतावनी के संकेत जिन्हें अक्सर देखा जा सकता है:
मायोकार्डियल इन्फार्क्शन के रिस्क फैक्टर्स निम्नलिखित है:-
पेरीकार्डियम में जब सूजन आ जाती है तो उसे पेरीकार्डिटिस कहा जाता है। पेरीकार्डियम, हृदय को उसको अपनी जगह पर रखने और उसके कार्य को सपोर्ट देने के लिए चारों ओर से घेरती है। पेरीकार्डियम में टिश्यूज़ की दो पतली परतें होती हैं, जो हृदय को ढकती हैं। ये दोनों परतें अलग होती है जिसके लिए माध्यम बनता है: इनके बीच मौजूद थोड़ी मात्रा में तरल पदार्थ, जिससे दिल की धड़कन के दौरान फ्रिक्शन कम हो जाता है।
पेरिकार्डिटिस का एक सामान्य लक्षण है, सीने में दर्द होना। सीने में दर्द इसीलिए हो सकता है जब सैक(थैली) की परतों में सूजन हो जाती है या फिर संभवतः हृदय से रगड़ के कारण होता है। यह दिल के दौरे से होने वाले दर्द जैसा महसूस हो सकता है।
पेरिकार्डियल रोग के कारण या रिस्क फैक्टर्स निम्नलिखित हो सकते हैं:-
कार्डियोमायोपैथी एक ऐसा रोग है जो कि जेनेटिकली इन्हेरिट होता है या कह सकते हैं कि वंशानुगत होता है। साथ ही, यह अन्य हृदय और संचार संबंधी स्थितियों के कारण भी हो सकता है।
कार्डियोमायोपैथी के तीन प्रकार हैं:
किसी भी व्यक्ति को एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या हो सकती है, खासकर यदि उनके परिवार में हृदय रोग का इतिहास है या फिर उनकी उम्र 65 वर्ष से अधिक है।
हमारी आर्टरीज, रक्त को ट्यूब के माध्यम से पानी की तरह बहने देती हैं, जिससे आपके अंगों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं। फैटी डिपॉजिट्स(जिन्हें हम प्लाक कहते हैं) की वजह से जब आर्टरीज़ ब्लॉक हो जाती हैं, तो वे अपनी लोच खो देती हैं और संकीर्ण हो जाती हैं, तो इस स्थिति को एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है। जिस स्थान पर आर्टरीज़ सबसे ज्यादा डैमेज होती हैं, वो हैं: पैर, गर्दन और कोरोनरी आर्टरीज़।
इसके अलावा, प्लाक टूट भी सकता है। यदि ऐसा होता है, तो इसके टूटने पर ब्लड क्लॉट (थ्रोम्बस) बन जाता है और उसकी वजह से ब्लड फ्लो रुक जाता है। साथ ही, ब्लड फ्लो के माध्यम से ब्लड क्लॉट अन्य स्थानों पर भी फैल सकता है और अंग के रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
हृदय रोग का उपचार, रोग के कारण और नुकसान के आधार पर निर्भर करता है। इसीलिए जरूरी है कि हम स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं, जैसे धूम्रपान न करना, नियमित रूप से व्यायाम करना, पर्याप्त नींद लेना और ऐसा भोजन करना जिसमें फैट्स, सोडियम की मात्रा कम हो, इत्यादि।
यदि जीवनशैली में परिवर्तन करने पर भी कोई असर न पड़े तो हृदय रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने और जटिलताओं से बचने के लिए, दवा की आवश्यकता हो सकती है।
हृदय रोग से पीड़ित कुछ लोगों को सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। सर्जरी हृदय रोग प्रकार और नुकसान पर निर्भर करता है।
हृदय में होने वाले किसी भी तरह की लंबी परेशानी को हृदय रोग कहते हैं। यहां आप हृदय रोग के लक्षण और उपचार के बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं। सभी तरह के हृदय रोग के लक्षण अलग-अलग होते हैं, जिसे उपरोक्त भागों में बताया गया है। सीने में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी, बहुत ज्यादा थकान, ब्लॉक्ड आर्टरी, कमजोर मांसपेशियां, दिल का दौरा, छाती में भारीपन इत्यादि इसके कारण हो सकते हैं।
इसके इलाज के लिए जीवनशैली में सुधार, दवाई और सर्जरी बीमारी के आधार पर की जा सकती है। इसके अलावा वित्तीय रूप से तैयार रहने के लिए आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भी ले सकते हैं, जहां आपको हृदय की बीमारीयों से जुड़ी खर्चों को कवर किया जाता है। आप केयर हेल्थ के हार्ट मेडिक्लेम (Heart Mediclaim) को खरीद सकते हैं, और वार्षिक स्वास्थ्य जांच से लेकर कैशलेस क्लेम तक सभी सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं।
>> जाने : हृदय रोग के लिए हेल्थ इंश्योरेंस क्यों आवश्यक है?
डिस्क्लेमर: हृदय रोग के मामले में आप तत्काल डॉक्टर से परामर्श करें। हेल्थ इंश्योरेंस के दावों की पूर्ति पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन होती है। कृपया सेल्स प्रोस्पेक्टस, ब्रोशर, नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
Published on 20 Nov 2024
Published on 20 Nov 2024
Published on 20 Nov 2024
Published on 20 Nov 2024
Published on 20 Nov 2024
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