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calendar_monthPublished on 17 Jan, 2025
autorenewUpdated on 17 Jan, 2025
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nest_clock_farsight_analog4 min Read
Written by Vipul Tiwary
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डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाए तो जीवन भर बनी रहती है और डायबिटीज का बढ़ना और घटना दोनों ही जिंदगी के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। जिनको मधुमेह बढ़ने की समस्या है वो अपने शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवाओं का सेवन करने के साथ कई तरह के परहेज भी करते हैं लेकिन जिनका शुगर लेवल कम होने की समस्या है वो अक्सर शुगर को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करते हैं। यह जानना बहुत जरूरी है कि शुगर के बढ़ने से आपको जितना खतरा है उतना ही शुगर के कम होना भी खतरा हो सकता है। आइए जानते हैं, हाइपोग्लाइसीमिया क्या है, हाइपोग्लाइसीमिया के कारण, लो शुगर लेवल कितना होना चाहिए? इत्यादि।
हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर तब होता है, जब आपके शरीर में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से कम हो जाता है। आपको बतादें कि, आपके शरीर का ब्लड शुगर, शरीर में ऊर्जा के संचार के लिए बहुत जरूरी होता है। वैसे अक्सर हाइपोग्लाइसीमिया का मुख्य कारण डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए ली जाने वाली दवाओं को माना जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है, हाइपोग्लाइसीमिया हमेशा मधुमेह से संबंधित नहीं होता है। आप कई दुर्लभ स्थितियों में भी लो ब्लड शुगर से प्रभावित हो सकते हैं। हाइपोग्लाइसीमिया और बुखार दोनों ही कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह अन्य दूसरी बीमारियों के लिए संकेत होता है।
शरीर में ब्लड शुगर कम होने के लक्षण निम्नलिखित है:-
जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उन लोगों में हाइपोग्लाइसीमिया विकसित होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसके अलावा निम्नलिखित कारण से हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है:-
हाइपोग्लाइसीमिया यानी लो ब्लड शुगर का इलाज दो तरह के किया जा सकता है। पहला, ब्लड शुगर बढ़ाने के लिए तत्काल प्रारंभिक उपचार और दूसरा, मौजूद स्थितियों का उपचार। लो ब्लड शुगर का शुरुआती इलाज इसके लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कार्बोहाइड्रेट वह खाद्य पदार्थ है, जो शरीर में आसानी से शुगर में परिवर्तित होता है, जैसे- टॉफी का सेवन, फलों के जूस का सेवन, कोल्ड ड्रिंक, ग्लूकोज की गोली, इत्यादि। इलाज के बाद रक्त शर्करा का फिर जांच करें, यदि फिर भी सुधार नहीं होता है तो दुबारा यही चरण दोहराएं। इसके बाद एक बार जब ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल हो जाता है तो उसे मेंटेन करने के लिए स्नैक्स या खाद्य पदार्थ लेते रहना चाहिए।
इसके अलावा, जब हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण गंभीर होते हैं तो मंह द्वारा शुगर लेने का ज्यादा फायदा नजर नहीं आता है, इस स्थिति में आपके शरीर को इंट्रानर्वस ग्लूकोज के इंजेक्शन की जरूरत हो सकती है। ऐसे गंभीर अंतर्निहित कारणों को दूर करने के लिए उपचार की जरूरत होती है। इसके उपचार में दवाएं शामिल हो सकती है, यदि यह स्थिती दवाओं के कारण उत्पन्न हुई है तो दवा बदलने या खुराक टाइम पर लेने की सलाह दी जा सकती है।
इसे भी पढ़ें - शुगर कंट्रोल कैसे करे? जानें, डायबिटीज में क्या खाना चाहिए
हाइपोग्लाइसीमिया वह स्थिति है जब आपके शरीर में ब्लड शुगर लेवल सामान्य स्तर से नीचे चला जाता है। इसके लक्षणों में घबराहट, भूख बढ़ना, एंग्जॉयटी, कमजोरी, धड़कना बढ़ना, धुंधली दृष्टी, चेतना में कमी, इत्यादि है। इसके मुख्य कारणों में उपवास, दवाओं का सेवन, अल्कोहल का ज्यादा सेवन, बीमारियां, आदि है। ऐसे में यदि कोई गंभीर स्वास्थ्य स्थिती उत्पन्न होती है तो आपको उसके लिए पहले से तैयार रहना बहुत जरूरी है।
इसके लिए आप अपने जीवनशैली में सुधार करें, इसके अलावा आप पहले से डायबिटीज के लिए स्वास्थ्य बीमा भी खरीद सकते हैं। जहां आपको ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी तमाम तरह की बीमारियों को कवर किया जाता है। आप केयर हेल्थ के केयर फ्रिडम प्लान (Diabetes Health Insurance) को खरीद सकते हैं और अपने को मधुमेह से जुड़ी गंभीर स्थियों से सुरक्षित रख सकते हैं। इसमें आपको वार्षिक स्वास्थ्य जांच कि सुविधा, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्चे, डे केयर उपचार, एम्बुलेंस कवर, डायलिसिस कवर, इत्यादि जैसी कई स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसमें आपको कई पहले से मौजूद बीमारियों के लिए कवरेज प्रदान की जाती है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी केवल संदर्भ उद्देश्यों के लिए है। सही चिकित्सीय सलाह के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। स्वास्थ्य बीमा लाभ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने पॉलिसी दस्तावेज़ पढ़ें।
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