प्रेगनेंसी में महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर से कैसे बचें

HEALTH INSURANCE FOR HYPERTENSION


प्रेगनेंसी में महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर से कैसे बचें

क्या आप जानते हैं, प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर क्यों बढ़ता है? गर्भावस्था के दौरान महिलाओं  में कई तरह के शारीरिक बदलाव होते हैं जिसके कारण शरीर में ब्लड की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर का खतरा हो सकता है। ऐसी स्थिति में मां और गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों पर ही विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। यदि किसी महिला का रक्तचाप 140/90 या उससे ज़्यादा है तो इसे उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है।

ऐसे मामलों में बीमारी को गंभीरता से लेनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि, जब तक कोई व्यक्ति अपने ब्लड प्रेशर की जाँच नहीं करता है, तब तक उसे पता ही नहीं रहता की वह हाइपरटेंशन से ग्रस्त है। तकरीबन 8% युवतियाँ गर्भावस्था के समय हाइपरटेंशन का शिकार होती है। 

ऐसे में यदि आप कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो आपको बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और यह वित्तिय रूप से आपको कमजोर बना सकता है। ऐसे मुश्किल घड़ी में हाई बीपी के लिए हेल्थ इंश्योरेन्स प्लान महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है।

>> जानिए: महिलाओं में बढ़ती उच्च रक्तचाप की समस्या

गर्भावस्था के समय हाइपरटेंशन के कारण क्या है?

गर्भवती महिलाओं में हाइ ब्लड प्रेशर निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

  • मोटापा
  • शराब का सेवन करना
  • सुस्त जीवन शैली
  • 40 वर्ष के बाद गर्भधारण करना
  • गर्भ में एक से ज्यादा शिशुओं का होना
  • आईवीएफ या अन्य तकनीक के जरिए गर्भधारण करना

गर्भवती महिलाओं में ब्लड प्रेशर का घटना या बढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है। शुरुआत के दीनो में बीपी गिरता है और फिर तीसरी तिमाही तक अपने लेवल पर आ जाता है। परंतु अगर ब्लड प्रेशर नियमित रूप से अधिक रहने लगे तो इससे कई अन्य बीमारियाँ होने का खतरा हो सकता है। यह महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के अलावा दिल, किडनी व अन्य अंगो के लिए भी हानिकारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त महिलाओं में डायबिटीज या किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रेगनेंसी में बीपी हाई हो तो क्या करें?

किसी भी गर्भवती महिला के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप को कैसे नियंत्रित करें। इससे मां-बच्चे दोनों स्वास्थ्य रह सकते हैं। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के उपाय निम्नलिखित है:- 

  • प्रेग्नेंसी में यदि आपको हाई बीप की समस्या है, तो आप अखरोट, टोफू इत्यादि का सेवन कर सकती हैं।
  • बल्ड प्रेशर को कम करने के लिए लहसुन भी बहुत फायदेमंद होता है। यह हार्ट रेट को कंट्रोल कर आपकी धमनियों को आराम पहुंचाता है।
  • प्रेग्नेंसी के दौरान हल्का वर्कआउट करना बहुत जरूरी होता है। क्यों कि इससे आपकी बॉडी एक्टिव रहती है और दिमाग शांत रहता है।
  • गर्भावस्था में पालक, सोयाबीन, अखरोट, अलसी, इत्यादि हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के लक्षण क्या है?

सभी गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी के लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी होती है जिनमें हाइपरटेंशन के कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। इसलिए यदि आपको प्रेग्नेंसी में हाई बीपी के कोई लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन के लक्षण निम्नलिखित है:-

  • सिरदर्द
  • अचानक वजन का बढ़ना
  • आंखो की रोशनी कम होना
  • शरीर में अधिक सूजन होना (एडिमा)
  • एसिडिटी की तरह पेट दर्द होना
  • ब्लड प्रेशर नॉर्मल से ज्यादा होना

प्रेग्नेन्सी में हाइपरटेंशन के प्रकार

यदि आप गर्भवती हैं, तो इस अवस्था में अपने ब्लड प्रेशर के स्तर की नियमित रूप से जाँच कराएं। अगर आपको किसी भी प्रकार की असमानता लगे तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत है। हाइ ब्लड प्रेशर चार प्रकार के होते हैं:

क्रोनिक हाइपरटेंशन:

प्रेग्नेन्सी के शुरुआती दिनो में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। यदि प्रेग्नेन्सी के शुरुआती 20 हफ़्तो में हाइ ब्लड प्रेशर देखने को मिले, तो इसे पहले से मौजूद हाइपरटेंशन की समस्या माना जाता  है। इस समस्या को क्रोनिक हाइपरटेंशन कहते हैं।

जेस्टेशनल हाइपरटेंशन:

यह समस्या गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में शुरू होती है और प्रसव के बाद स्वयं ही ठीक हो जाती है। इस तरह के हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी समस्या ये  है की इससे समय से पहले ही प्रसव हो जाता है| 

क्रोनिक हाइपरटेंशन के साथ सुपरइम्पोज्ड प्रीक्लेम्पसिया:

यह समस्या तब विकसित होती है जब किसी गर्भवती महिला को पहले से ही हाइ ब्लड प्रेशर की शिकायत हो। यदि किसी महिला को पहले से ही किडनी और हृदय रोग या क्रोनिक हाइपरटेंशन की समस्या हो, तो इस बीमारी का खतरा ज़्यादा होता है।

ऐसा देखा गया है की क्रोनिक हाइपरटेंशन से ग्रस्त तकरीबन 25% महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है। जाँच के समय यदि असामान्य स्तर पर लिवर एंजाइम पाया जाए या फिर प्रोटीनूरिया बढ़ा हुआ मिले तो इस बात का पुष्टीकरण हो जाता है कि महिला को यह समस्या है|

प्रीक्लेम्पसिया:

प्रेग्नेंसी के समय क्रोनिक हाइपरटेंशन की मौजूदगी के साथ प्रोटीनूरिया मिले तो इस बात का पुष्टीकरण हो जाता है की महिला को प्रीक्लेम्पसिया होता है। यह समस्या ज़्यादातर गर्भधारण के 20 सप्ताह बाद विकसित होती है। यह समस्या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से अलग होती है, क्योंकि जेस्टेशनल हाइपरटेंशन में पेशाब में प्रोटीन नहीं पाया जाता है। यह शरीर के दूसरे अंगो के लिए जैसे लिवर, किडनी या मस्तिष्क के लिए हानिकारक होती है। अगर इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया जाए तो यह महिला और बच्चे दोनो को नुकसान पहुंचा सकती है।

सारांश

प्रेग्नेंसी के समय हाइ ब्लड प्रेशर मां व बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप के वजह से प्रेग्नेंसी की जटिलताओं में प्रीक्लेम्पसिया और औसत से छोटे बच्चे होने की शंका होती है। एक महिला जब गर्भधारण करती है तब से प्रसव तक के अंतराल में देख-भाल की काफी जरूरत होती है, जिसके कारण महिलाओं का हाइ ब्लड प्रेशर के लिए हेल्थ इन्शुरन्स प्लान (Health Insurance Plan) खरीदना बहुत जरूरी हो जाता है। 

इसके अलावा आप गर्भवती महिलाओं के लिए मेटरनीटि हेल्थ इंश्योरेंस प्लान(maternity health insurance) भी ले सकते हैं, जो गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पूर्व और प्रसव के बाद के खर्चो को कवर करता है। ऐसा करके आप खुद को वित्तिय और मानसिक रूप से तैयार रख सकते हैं। आज ही केयर हेल्थ इन्शुरन्स की मेडिकल पॉलिसी में निवेश करें और अपने आने वाली खुशियो का स्वागत करें|

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 >> जानिए: उच्च रक्तचाप से जुड़े यह 6 मिथक

डिस्क्लेमर: हाइपरटेंशन के दावों की पूर्ति पॉलिसी के नियमों और शर्तों के अधीन है।

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Q. प्रेगनेंसी में बीपी कितना होना चाहिए?

प्रेगनेंसी में जिन महिलाओं को रक्तचाप की समस्या होती है, उन्हें सप्ताह में 3 दिन बीपी का चेकअप कराना चाहिए,ताकि ब्लड प्रेशर की स्थिति सामान्य बनी रहे। सामान्य बीपी 140/90 एमएमएचजी होना चाहिए।

Q. प्रेगनेंसी में बीपी हाई होने पर क्या खाना चाहिए?

प्रेगनेंट महिला को अपने डाइट में पोटेशियम और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में आसानी मिलती है। ऐसे में मौसमी, अखरोट का टोफू, इत्यादि का सेवन किया जा सकता है।


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