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इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण, कारण और उपचार, देखें सबकुछ

  • calendar_monthPublished on 17 Mar, 2023

    autorenewUpdated on 25 Nov, 2023

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इन्फ्लूएंजा को फ्लू भी कहते हैं। यह एक वायरल संक्रामक श्वसन रोग है, जो नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करता है। इन्फ्लूएंजा वायरस पक्षियों, जानवरों और इंसानों के श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। ज्यादातर मामलों में इंफ्लुएंजा अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कुछ मामलों में यह गंभीर रूप भी ले सकता है, और प्रभावित व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो सकती है।

इंफ्लुएंजा वायरस क्या होता है? 

इन्फ्लूएंजा एक वायरल श्वसन संक्रामक रोग है। जो इंसानों के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, जिसमें नाक, गला, फेफड़े इत्यादि शामिल होते हैं। यह बीमारी किसी के छींकने, खांसने या श्वसन बूंदों द्वारा आसानी से फैल सकती है। इन्फ्लूएंजा (फ्लू) छोटे बच्चों, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है।

इन्फ्लूएंजा वायरस कितने प्रकार के होते हैं?

इंफ्लुएंजा (फ्लू) का नाम उस वायरस के नाम पर पड़ता है, जिसके कारण वह होता है। इन्फ्लुएंजा वायरस लगातार बदल रहे हैं, समयानुसार ये भी अपने नए स्ट्रेन में सामने आ रहे हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस 4 प्रकार के होते हैं- इन्फ्लूएंजा ए (A), बी (B), सी (C) और डी (D)। इनमें से इन्फ्लूएंजा डी (D) को छोड़ कर ए (A), बी (B) और सी (C) तीनों इंसानों में फैल सकते हैं। 

आपको यह पता होना चाहिए कि, हर साल मौसमी फ्लू इन्फ्लूएंजा ए (A) और बी (B) कि वजह से होता है, और उन्हें भी कई सबटाइप्स में बांटा जाता है। यह बंटवारा उनके सतह पर मिलने वाले प्रोटीन के आधार पर किया जाता है। यह सबटाइप होते हैं, हेमाग्लूटिनिन यानी HA, और न्यूरोमिनाइडेस यानी NA। फिर इसके बाद एचए (HA) के भी 18 प्रकार होते हैं, जिनका नाम H1 से लेकर H18 तक दिया जाता है, और एनए (NA) के भी 11 प्रकार होते हैं, जिनका नाम N1 से लेकर N11 तक दिया जाता है।

H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस क्या है?

इन्फ्लूएंजा वायरस (Influenza virus) आमतौर पर सूअरों में पाया जाता है। जब इसका फैलाव इंसानी शरीर में होता है तो इसे वेरिएंट वायरस कहा जाता है। ए एच3एन2 (A - H3N2), इन्फ्लूएंजा वायरस का ही एक वेरिएंट है, जिसे H3N2v के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा ही है स्वाइन फ्लू महामारी का वेरिएंट जिसे एच1एन1 (H1N1) वायरस के नाम से जाना जाता है, जो पहली बार 2009 में सामने आया था। 

H3N2 वायरस पहली बार साल 2010 में अमेरिकी सुअरों में पाया गया था। 2011 में यह वायरस 12 लोगों में पाया गया, वो भी उन लोगों में जो काफी लंबे समय से सुअरों के करीब थे। फिर 2012 में इसके 309 मामले सामने आए थे। इन दिनों यानी 2023 फरवरी-मार्च में, H3N2 के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसके कारण भारत में सैकड़ों की संख्या में लोग गंभीर रूप से बीमार हैं।

H3N2 इन्फ्लूएंजा के लक्षण क्या है?

इन्फ्लूएंजा H3N2 के लक्षण भी मौसमी फ्लू की तरह ही होते हैं, जो अचानक ही महसूस होने लगते हैं। इन्फ्लूएंजा H3N2 के सामान्य लक्षण निम्नलिखित है:-

  • सिर दर्द होना
  • थकान महसूस होना
  • दस्त की समस्या
  • उल्टी आना
  • खांसी होना
  • बंद नाक या नाक बहना
  • मांसपेशियों में दर्द होना
  • गला खराब होना

H3N2 इन्फ्लूएंजा के कारण क्या है?

इन्फ्लूएंजा H3N2 एक संक्रामक बीमारी है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से फैल सकती है। अभी तक H3N2 के कम्युनिटी स्प्रेड के मामले नहीं मिले हैं। यह वायरस खांसने, छींकने या श्वसन बूंदों से भी फैल सकता है। यह संवाद करने के दौरान निकलने वाले ड्रॉप्लेट्स के जरिए भी फैल सकता है। यदि कोई संक्रमित व्यक्ति अपने नाक, मूंह को छूता है और आप उसके संपर्क में आते हैं, तो भी इस वायरस से आप संक्रमित हो सकते हैं। इस H3N2 वायरस से बच्चों, गर्भवती महिलाओं , बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वालों को ज्यादा खतरा होता है।

इन्फ्लूएंजा H3N2 के लिए वैक्सीन

मौसमी फ्लू के लिए आप हर साल वैक्सीन लगवा सकते हैं। यह डॉक्टरों के पास आसानी से उपलब्ध होती है। वैसे भारत में मौसमी फ्लू से बचने के लिए वैक्सीन का प्रचलन नहीं हैं, लेकिन यदि आप जागरुक हैं, तो मौसमी फ्लू के लिए अपने डॉक्टर से वैक्सीन ले सकते हैं। युरोपीय देशों में मौसमी फ्लू के लिए लोग पहले से ही वैक्सीन लगवाना पसंद करते हैं। फ्लू वाले वैक्सीन को ट्राइवैलेंट या क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन के नाम से जाना जाता है। 

H3N2 वायरस से कैसे बचें?

H3N2 इन्फ्लुएंजा से बचने के उपाय नीचे दिए गए है, जिसे अपनाकर आप वायरस से संक्रमित होने से बच सकते हैं:- 

  • मास्क पहने 
  • अपने हांथ को साबुन से धोते रहें
  • भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें
  • हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें
  • निकट संपर्क से बचने की कोशिश करें
  • सार्वजनिक स्थानों पर नहीं थूके
  • पानी का भरपूर सेवन करें
  • खांसते और छींकते समय अपने मुंह और नाक को ढक लें
  • अपने चेहरे और नाक को छूने से बचने की कोशिश करें
  • दूसरों से दूरी बना कर रहें
  • अपने सामान को दूसरों से शेयर नहीं करें

H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का इलाज क्या है?

H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस का इलाज भी, दूसरे फ्लू की तरह इसके लक्षणों को कम करने से ही होता है। सबसे पहले वायरस के लक्षणों को कम किया जाता है। यदि किसी में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस की पुष्टी हो गई है तो इलाज के दौरान उसे क्या करना चाहिए, आइए जानते हैं:- 

  • ऐसे में डॉक्टर आपको एंटीवायरल दवाएं दे सकते हैं।
  • सिरदर्द, बुखार या बॉडी पेन से राहत पाने के लिए आप मेडिकल स्टोर से दवा ले सकते हैं।
  • भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • ज्यादा आराम करें।
  • जितना संभव हो सके लोगों के संपर्क में आने से बचें ।

सारांश:-

एच3एन2 (H3N2) इन्फ्लुएंजा एक संक्रामक श्वसन रोग है। ठंड लगना, बुखार होना, गले में खराश, उल्टी, मतली इत्यादि H3N2 इन्फ्लुएंजा के लक्षण हैं। मौसम में बदलाव इसके तेजी से फैलने का कारण माना जाता है। इसके रोकथाम के लिए आप हैंड सैनिटाइज करते रहें, दूसरों से दूरी बना कर रहें, पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें, चेहरे और नाक को छूने से बचें, भीड़ से बचें, इत्यादि।

क्या आप जानते हैं, किन लोगों को है H3N2 का ज्यादा खतरा? वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को संक्रमण होने का अधिक खतरा होता है। इसी तरह, जिन लोगों में पहले से मौजूद स्थितियां हैं, जैसे हृदय रोग, डायबिटीज इत्यादि उनमें भी वायरस के कारण जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में आप पहले से वित्तीय रूप से तैयार रहने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं और अस्पताल के भारी खर्चों से बच सकते हैं। आप बुजुर्गों के लिए सीनियर सिटीजन हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं या फिर पूरे परिवार के लिए फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस प्लान (Family Health Insurance Plan) भी ले सकते हैं। यह आपको बीमारी की परेशानी में वित्तीय रूप से कमजोर नहीं होने देता है और सुरक्षित रखता है। 

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